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भारत भूषण के डायलॉग्स - Bharat Bhushan All Dialogues in Hindi

Bharat Bhushan Dialogues

भारत भूषण के डायलॉग्स - Bharat Bhushan All Dialogues in Hindi

दुश्मन को दुश्मनी से ही नहीं, दोस्ती से भी मारा जा सकता है
इलाका (1989)
है बस की हर एक उनके इशारे में निशाँ और, करते है मोहब्बत तो गुज़रता है गुमान और, या रब ना वो समझे है ना समझेंगे मेरी बात, दे और दिल उनको जो ना दे मुझको जुबां और
है और भी दुनिया में सुख़नवार बहुत अच्छे, कहते है की ग़ालिब का है अंदाज़-ए -बयां और
क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे की हां, रंग लाएगी हमारी फ़ाक़ा मस्ती एक दिन
ना गुल-ए-नग़मा हूँ ना परदा-ए-साज़, मैं हूँ अपने शिकस्त की आवाज़
निकलना खुल्द से आदम का सुनते आये थे लेकिन, बहुत बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले
पिला दे ओक से साकी जो हमसे नफरत है, प्याला अगर नहीं देता ना दे, शराब तो दे
छोडूंगा मैं ना उस बत-ए-काफिर का पूजना, छोड़े ना ख़ल्क़ जो मुझे काफिर कहे बगैर
तुम सलामत रहो हज़ार बरस, हर बरस के हो दिन पचास हज़ार
हूँ गिरफ्तार-ए-उल्फत-ए-सयाद, वरना बाकी है ताक़त-ए-परवाज़
मिर्ज़ा ग़ालिब (1954)
जो भी काम मिले उसे कर लेना चाहिए, काम कोई छोटा नहीं होता, छोटा होता है आदमी, उसका दिल, उसकी करतूत
घर संसार (1986)
तुम्हारे बगैर मेरी सरगम अधूरी है, मेरे गीत अधूरे है, तुम ही मेरा संगीत हो
बस्तियां और ख़ज़ाने लूटने वाले, दिलों को नहीं लूट सकते
बैजू बावरा (1952)
गरीब को सिर्फ रोटी का सपना देखना चाहिए, प्यार का नहीं
प्रेम क़ैदी (1991)

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