![[feature] Amrish Puri Dialogues Amrish Puri Dialogues](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjEIrFxoy_XBih0gopmmGo5C6JziqcEiMXqDVa6FPL7NKlSWwyvIW6ueNMD-WjJOQXp1GRnwkjSVmp9998eMULSvmo-u57NyQzvEWmIwTJoH18GKxwsjzwQSDUMV2U1NBC61k24_RWpYmPL/s1600/amrish-puri-dialogues.jpg)
अमरीश पूरी के डायलॉग्स - Amrish Puri All Dialogues in Hindi
दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे (1995)मिस्टर इंडिया (1987)घायल (1990)दामिनी (1993)तहलका (1992)ज़ुल्मी (1999)हक़ीक़त (1995)इतिहास (1997)ढाल (1997)मुक़द्दर का बादशाह (1990)फूल और काँटे (1991)जा सिमरन, जा जीले अपनी ज़िन्दगी, जा बेटा जा |
मोगैम्बो खुश हुआ |
जो ज़िन्दगी मुझसे टकराती है, वो सिसक सिसककर दम तोड़ती है |
ऐसी नस दबाऊंगा की चीख़ निकल जाएगी |
डाँग कभी रॉंग नहीं होता |
बलराज अपने दुश्मन को उस वक़्त तक नहीं भूलता, जब तक उसे शमशान तक नहीं पंहुचा देता |
शेर के खर्राटे भौंकते हुए कुत्ते से ज़्यादा खतरनाक होते है |
इंसान कितनी भी जल्दी करे, पहुँचता तभी है जब उसे पहुंचना होता है और पहुँचता वही है जहां उसे पहुंचना होता है |
आज की दुनिया में ईमानदारी वो खोटा सिक्का है जो बाज़ार में कहीं नहीं चलता |
एक बाप दस बच्चे पैदा कर सकता है, लेकिन दस बच्चे मिलकर एक बाप नहीं बना सकते |
जिसे मैं इंसान का बच्चा समझकर बीस साल तक पालता रहा, वो आस्तीन का सांप निकला |