संजीव कुमार के डायलॉग्स - Sanjeev Kumar All Dialogues in Hindi
Umesh Joshi
November 12, 2016
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संजीव कुमार के डायलॉग्स - Sanjeev Kumar All Dialogues in Hindi
लोहा गरम है, मार दो हथौड़ा
ये हाथ नहीं, फाँसी का फन्दा है
रामगढ वालो ने पागल कुत्तों के सामने रोटी डालना बंद कर दिया है
ठाकुर ना झुक सकता है ना टूट सकता है, ठाकुर सिर्फ मार सकता है
कीमत जो तुम चाहो, काम जो मैं चाहू
वो बदमाश है लेकिन बहादुर है, खतरनाक है इस लिए की लड़ना जानते है, बुरे है मगर इंसान है
सांप को हाथ से नहीं, पैरों से कुचला जाता है
शोले (1975)
तुम मुझे नौकर होने से क्या रिटायर करोगे, मैं खुद तुम्हे मालिक होने से रिटायर करता हूँ
विधाता (1982)
झूठ की ज़ुबान लंबी होती है, उम्र नहीं
फरार (1975)
तेरा शक़ तुझे खा गया, एक चिंगारी आग बनी और एक इंसान जल गया
दोस्त की गलती भी दोस्त की सौगात होती है
आप की कसम (1974)
खुदा खुद हसीन है और हर हसीन चीज़ मैं नज़र आता है
Love And God (1986)