Dev Anand All Dialogues in Hindi / Dharamdev Anand, better known as Dev Anand, was an Indian film actor, writer, director and producer known for his notable works in the history of Indian cinema. Part of the Anand family, he co-founded Navketan Films in 1949 with his elder brother Chetan Anand. Anand is regarded as one of the most influential actors in the history of Indian cinema.
देव आनंद के डायलॉग्स - Dev Anand All Dialogues in Hindi
ना सुख है, ना दुःख है, ना दीन है, ना दुनिया, ना इंसान, ना भगवान....सिर्फ मैं हूँ, मैं हूँ, मैं हूँ, मैं....सिर्फ मैं
लगता है आज हर इच्छा पूरी होगी, पर मज़ा देखो, आज कोई इच्छा ही नहीं रही
जिस जगह को देख कर परमात्मा की याद आये, वो तीर्थ कहलाता है और जिस आदमी के दर्शन से परमात्मा में भक्ति जागे, वो महात्मा कहलाता है
मौत एक ख्याल है जैसे ज़िन्दगी एक ख्याल है
जो आदमी अपने नसीब को कोसता रहता है, उसका नसीब भी उसको कोसने लगता है
काम उसका, नाम तेरा
मुसीबत और ज़िन्दगी का कहते है चिता तक का साथ रहता है
याद में नशा करता हूँ और नशे में याद करता हूँ
इन लोगों को मुझपे विश्वास है और अब मुझे इनके विश्वास पे विश्वास होने लगा है
मैं ज़ुबान से लफ़्ज़ों की तस्वीर खींचता हूँ, अतीत तो सब दिखाते है, मैं कभी कभी भविष्य भी दिखाता हूँ
गाइड (1965)
जॉनी बुरे काम तो करता है लेकिन ईमान के साथ
बुरे काम करते करते बुरी आदतें पढ़ ही जाती है
जिस रोज़ एक चोर दुसरे चोर पे भरोसा नहीं करेगा, उस रोज़ भगवन भी अल्लाह मिया पे भरोसा नहीं करेंगे
इंसान बड़ी चीज़ के लिए किसी वक़्त भी छोटी चीज़ को छोड़ सकता है
तुम्हारे लिए चाँद बेच सकता हूँ, लेकिन ईमान नहीं
जॉनी मेरा नाम (1970)
सच्चाई की लड़ाई में मरने वाला हमेशा ज़िन्दा रहता है
बेकरारी हद से बढ़ जाये उसे सदा कहते है और वादा करके देर से आने को अदा कहते है
आओ जी आओ जी आज सदके, यारो के यार आये है, पिलाओ जी पिलाओ इन्हें आज जी भर के, सात समुन्दर पर आये है
देस परदेस (1978)
जब औरत का दिल टूटता है, तो वो अपनी सारी ज़िन्दगी उन टूकड़ो को बांटने में खर्च कर देती है और जब मर्द का दिल टूटता है, तो वो अपनी सारी ज़िन्दगी उन टुकड़ो को समेटने में
जुआ खेलना एक पागलपन है और असली जुआ खेलने वाला खिलाडी होता है
Lucky in gambling and unlucky in love
गैम्बलर (1971)
जेल की दीवार को तोड़कर भाग जाना आसान है, लेकिन प्रेम और दोस्ती की दीवार को फांदना नामुमकिन है
ये आज़ादी की लड़ाई मेरे मर जाने से ख़त्म नहीं होगी, ये लड़ाई तो मेरे जाने के बाद शुरू होगी और उस वक़्त तक लड़ी जाती रहेगी जब तक ये भारत माँ के बिछड़े हुए बच्चे माँ की गोद में वापस नहीं चले जाते
प्यार जब नफरत में बदल जाता है, तो खतरनाक हो जाता है
ये गुलिस्तान हमारा (1972)
मोटर अमीरों की नौकर होती है, टैक्सी गरीबों की अन्न दाता
टैक्सी ड्राइवर (1954)
ज़िन्दगी के दो हिस्से होते है, एक सवाल दूसरा जवाब
मेरा दाता मुझपर मेहरबान है, मेरे मुँह में चांदी की ज़बान है, मेरे हाथ में सोने की कमान है, जो भी मेरे आगे आएगा, मुफ्त में जूते खाके जायेगा
फन्टूश (1956)
प्यार एक जज़्बे का नाम है जो इंसान के मन में होता है
वो सब कुछ जो मुझे नहीं कहना चाहिए था मैं तुमसे हमेशा कहता रहा, अब जब कुछ कहना चाहता हूँ तो कुछ कह नहीं पा रहा हूँ
बम्बई का बाबु (1960)
भगवान ने इंसान को बनाया ही ऐसे है की जब तक वो ज़िंदा है, उसे झूठ और लोभ और मोह से कोई मुक्ति नहीं
हीरा पन्ना (1973)
हर खेल मैं एक की जीत और दुसरे की हार होती है
जूता खाने के बाद गरम चाय पेनिसिलीन का काम देती है
पॉकेट मार (1956)
इस दुनिया में पैसा नहीं तो कुछ नहीं, बाप की शफ़क़त पैसा, माँ की ममता पैसा, औरत का प्यार पैसा, पैसा, पैसा, पैसा
मिलाप (1955)
खूब पर्दा है के चिलमन से लगे बैठे है, साफ़ छुपते भी नहीं, सामने आते भी नहीं
जो इंसान कमज़ोरी का शिकार होके गिर जाये, वो इंसान, इंसान नहीं रहता
लव मैरिज (1959)
परिवार ही इंसान का गढ़ है, किला है, जो कभी टूटना नहीं चाहिए
मैं सोलह बरस की (1998)
हर ग्रेट प्लेयर के पीछे एक ग्रेटर प्लेयर होता है
ज़मीर और डिसिप्लिन के बिनाह पर किया गया फैसला कभी गलत नहीं होता
अव्वल नंबर (1990)
घर एक किला की तरह होता है और उस में बसने वाले लोग माँ, बाप, भाई, बहन, बच्चे उसकी दीवार, किसी भी दीवार में ज़रा सी भी दरार पढ़ जाये, तो दीवार ही नहीं गिर जाती बल्कि घर ही टूट गिरता है
इंतजारी का वक़्त और दिल से बहुत तालुक होता है, जब हमने इंतज़ार किया तो उनका दिल नहीं था और जब उन्होंने इंतज़ार किया तो हमारा दिल नहीं था