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राज कपूर के डायलॉग्स - Raj Kapoor All Dialogues in Hindi

Raj Kapoor Dialogues

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राज कपूर के डायलॉग्स - Raj Kapoor All Dialogues in Hindi

आदमी में दिल होता है....दिल में आदमी
दुनिया में एक चीज़ शेर-ए-बब्बर से भी ज्यादा खतरनाक और डरावनी है...और वो है गरीबी और भूख
कभी कभी पुराने दिनों की याद...सेहत के लिए बहुत अच्छी होती है

मेरा नाम जोकर (1970)

हम उस देश के वासी है...जिस देश में गंगा बहती है

जिस देश में गंगा बहती है (1960)

मेरा जूता है जापानी, यह पतलून इंग्लिश्तानी, सर पे लाल टोपी रुसी...फिर भी दिल है हिंदुस्तानी
दिल का दर्द और आँखों के आसूं छुपाने के लिए...ये बेवक़ूफ़ मसखरे का भेष बड़े काम की चीज़ है
आज गरीब भी गरीब को नहीं पहचानता

श्री 420 (1955)

दुःख तुमने मुझे नहीं दिया है मैंने अपने आप को दुःख दिया है
सब कुछ खुदा से मांग लिया तुझको मांगकर...उठते नहीं है हाथ मेरे इस दुआ के बाद
हम तो दिल के सौदागर है...दिल खरीदते है...दिल बेचते है
रोये तो यार के कंधे पर...जाए तो यार के कंधे पर
संगम तो वो है जहाँ दिल, दिल से मिलता है.....आत्मा, आत्मा से मिलके परमात्मा हो जाती है

संगम (1964)

आदमी जब संत बनता है तो जात-पात, ऊँच-नीच, हिन्दू-मुसलमान, देश-विदेश, रंग-नस्ल के तमाम भेद भाव भूल जाता है
दुनिया कितनी छोटी है..लेकिन दो आदमियो के बीच ले फासले कितने लंबे हो सकते है..कितने भयानक और कितने काले
प्यार दुनिया की सबसे खुबसुरत सच्चाई है

छलिया (1960)

औरत के आँचल में कुटुंब की, देश की, इंसान की आबरू होती है
जीवन के सारे सपने विश्वास के बल पर ही तो सच्चे होते है
ज़िन्दगी में जिस चीज़ की तमन्ना हो उससे लोगों में बाँट दो..धन चाहिए धन दो, सुख चाहिए सुख दो, प्यार चाहिए प्यार दो..सिर्फ दो और देते रहो..कभी किसी से कुछ मांगो मत बस आँख बंद करके दिए जाओ, दिए जाओ
जिस देश की लडकिया बेशर्म हो जाती है...वहां के मर्दो को शर्म आने लगती है जी
प्यार मांगने की चीज़ नहीं है जी...देने की चीज़ है

सपनो का सौदागर (1968)

Import Export का मतलब है इधर का माल उधर और उधर का माल इधर

आवारा (1951)

तुम छोकरी लोग का यही तो मुसीबत है...हार श्रृंगार में आधी ज़िन्दगी अपनी और इंतज़ार में आधी ज़िन्दगी दुसरे का बर्बाद कर देता है

अनाड़ी (1959)

अच्छाई की कोई सीमा नहीं होती...और बुराई का कोई अंत नहीं

धरम करम (1975)

बुड्डा है घोडा.....लाल है लगाम.....कैसी ये जोड़ी मिलायी राम

सरगम (1950)

दो सुईओं के बीच ज़िन्दगी क्या क्या खेल दिखाए.....नया पुराना नाटक करता वक़्त गुज़रता जाये
दुश्मनी को खरीदने कही जाना नहीं पड़ता और दोस्ती किसी भी कीमत पे नहीं मिलती

कल आज और कल (1971)

रौशनी चाँद से होती है सितारों से नहीं.....दोस्ती एक से होती है हज़ारों नहीं

गोपीचंद जासूस (1982)

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1 Comments
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  1. I want to Raj kapoor dialogue in Hindi video bada zut isliye

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