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धर्मेन्द्र के डायलॉग्स - Actor Dharmendra All Dialogues in Hindi

Dharmendra Dialogues

धर्मेन्द्र के डायलॉग्स - Dharmendra All Dialogues in Hindi

एक एक को चुन चुन के मारूंगा, चुन चुन के मारूंगा
बसंती इन कुत्तो के सामने मत नाचना
हम काम सिर्फ पैसो के लिए करते है
वेन आय डेड, पुलिस कमिंग, पुलिस कमिंग, बुढिया गोइंग जेल, इन जेल बुढिया चक्की पीसिंग एंड पीसिंग एंड पीसिंग
तुम अगर एक मारोगे हम चार मारेंगे
इस स्टोरी में इमोशन है, ड्रामा है, ट्रेजड़ी है
शोले (1975)
कुत्ते कमीने मैं तेरा खून पी जाऊँगा
कुत्ते की दुम टेढ़ी की टेढ़ी रहती है
कफ़न ओढ़ने वाले घंटे नहीं, घड़ियाँ गिनते हैं
तेरे घर में कैलेंडर है, 97 गौर से देख ले, क्यूंकि 98 तू देख नहीं पायेगा
हरामीपन की बदबू आ रही है तेरे बातों से, अब तो पक्की हो गई तेरी मौत मेरे हाथों से
मर्द का दिल उस ही के पास होता है, जिसकी मा के दूध में दम होता है
मैं खोदता नहीं हूँ, सिर्फ दफ़न करता हूँ
जिसके पासपोर्ट पर शंकर मौत का ठप्पा लगा देता है, उसे सिर्फ ऊपर का वीजा मिलता है
ज़ुल्म को फ़ना करने के लिए मौत से टकरा गया है, तुझसे लोहा लेने के लिए, देख ये लोहा आ गया है
लोहे से लोहा कट सकता है, लोहा मर नहीं सकता
लोहा (1997)
बेगम, इश्क का मज़ा ही चुपके चुपके से करने में है
एक्टर क्या है? डायरेक्टर के हाथ की कठपुतली
पति के गुण धीरे धीरे पता चलना चाहिए, उससे प्यार धीरे धीरे बढ़ता है
क्लाइमेक्स में पहुचकर ड्रामा के छुट्टी मत कराओ
जितना बड़ा जिस्म दिया है, उतना बड़ा दिल भी दिया है
चुपके चुपके (1975)
मर्द का खून और औरत के आसूँ जब तक ना बहे, उनकी कीमत नहीं लगायी जा सकती
आप जिस रोटी को सोने और चाँदी के बर्तनों में खाकर घमंड का डकार लेते है, हम गरीब उसी रोटी को मिटटी के टूटे फूटे बर्तनों कें खाकर भगवान का गुण गान करते है
अगर तकदीर में मौत लिखी है तो कोई बचा नहीं सकता, अगर ज़िन्दगी लिखी है तो कोई माई का लाल मार नहीं सकता
धरम वीर (1977)
ओये इलाका कुत्तों का होता है, भेन के टक्के, शेर का नहीं
इस दुनिया में आये हो तो कुछ ऐसा कर जाओ कदरदान, गली, कूचे से आवाज़ आये, अब्बा जान अब्बा जान अब्बा जान
डिस्काउंट मिडिल क्लास लोगों के लिए होता है
यमला पगला दीवाना (2011)
कितनी बार कहा है, ऐश कर, इश्क मत कर
यमला पगला दीवाना 2 (2013)
ज़िन्दगी बिलकुल इन बर्फ की रेशु की तरह ही होती है, पल भर के लिए ठहरती है और पिघल जाती है, पल भर कम्बखत जितनी देर रहती है, बड़ी खूबसूरत लगती है
पहले एक हिन्दुस्तानी को समझ लो, हिंदी अपने आप आ जाएगी
इतिहास कोई अकेला नहीं रच सकता, इतिहास रचने के लिए अपनों की ज़रुरत होती है
अपने (2007)
अब कोई गन्दी हरकत तुमने की, तो फैसला पंचायत नहीं, मैं करूंगा
हमारी बर्दाश्त को हमारी कमजोरी मत समझना
प्यार किया तो डरना क्या (1998)
ये मिटटी प्यासी है, जिस दिन इसकी प्यास बुझ जाएगी, ये मिटटी सोना बन जाएगी
आदमी और इंसान (1969)
कुछ और पाने की चाह, कुछ और बेहतर की तलाश, इस ही चक्कर में इंसान अपना सब कुछ खो बेठता है जो उसके पास होता है, तलाश कभी खत्म नहीं होती, वक़्त खत्म हो जाता है
दिल के मामले में हमेशा दिल की सुननी चाहिए
लाइफ इन ए मेट्रो (2007)
जिस दिन ये खेल शुरू होगा ना, उस दिन गेंद हम होगे और चक्के मैं मारूंगा
उस वैहशी दरिन्दे ने मेरी माँ के हाथ तो काट दिए है, लेकिन मेरी माँ आशीर्वाद नहीं काट सकता वो
तेरे पापों की तुझे कितनी सजा मिलनी चाहिए उसकी हद तो मैं नहीं जानता, लेकिन आज मैं तुझे इतनी सजा दूंगा, इतनी सजा दूंगा की आने वाली सदियाँ भी याद रखेगी
तेरी आँखों में दहकते अंगारों की सौगंध माँ, मैं तेरा वचन पूरा करके रहूँगा
हमसे वफादार रहोगे तो मौत तुमसे दूर रहेगी
जंग से धरती का सीना तो लाल होता ही है, ये देश की आत्मा को भी घायल कर देती है
एलान-ए-जंग (1989)
तुझे मैं मरने से पहले अगर देख लूंगा, तो मर जाने के बाद भी मेरी आँखें जिंदा रह जाएगी
रज़िया सुल्तान (1983)
हमारा ये पेशा शतरंज की बिसात से कम नहीं, छोटे से छोटे मोहरे को मारने के लिए हमें देखना पड़ता है, कि उसका वजीर कौन है, बादशाह कौन है
आज मैं अपनी हुकूमत की अदालत का गवाह बनकर, वकील बनकर, जज बनकर, तुम जैसे खून का सौदा करने वाले सौदागर को सज़ा देता हूँ, सजाए मौत
गुस्सा इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है, जिसे गुस्से पर काबू नहीं, वो किसी चीज़ पर काबू नहीं रख सकता, गुस्सा इन्सान की अक्ल को खा जाता है
ज़ुल्म की हुकूमत (1992)
सत्यम, शिवम, सुन्दरम, पुलिसम, अरेस्टम, अन्दरम
सच्चाई का रिश्ता खून के रिश्ते से ऊँचा होता है
इन्सान को उसके जनम से नहीं, करम से परखना चाहिए
ड्रीम गर्ल (1977)
शरीफ आदमी इंग्लैंड तो क्या किसी भी लैंड में चला जाये, अपनी मदरलैंड को कभी नहीं भूलता
नारी और संगीत का बहुत करीब रिश्ता है, दोनों में नरमी है, लोच है, लचक है, दर्द है, सोज़ है, तड़प है, खिचाव है, कशिश है
आया सावन झूम के (1969)
अपन दादा है गरीबों में फकीरी का, लफड़ेबाजों में वसूली का, दादा लोगों में दादागिरी का
दादागिरी (1987)
मैं माफिया का वो पेड़ ही जड़ से उखाड़कर फेक दूंगा, जिसके साए के नीचे जुर्म नंगा नाच रहा है
माफिया (1996)
भाग्य की रेखाएं हाथों में नहीं होती, इन्सान के कर्मों में होती है
जिनके हाथ ना हो वो आत्मा से आशीर्वाद देते है
क्रोधी (1981)
उपरवाला बड़ा दयालु है, जहाँ एक दरवाज़ा बंद करता है, वहां सौ दरवाज़े खोल देता है
ये दुनिया भगवान का बैंक है, जो धरती पे जमा करवाएगा, वो स्वर्ग में कैश करवाएगा
हम तो ढाल के पतीले है, जिसने प्यार से करची घुमाई बस उसी के हो लिए
जिसने खाने में की मिलावट, उसकी दोनों जहाँ में मिलावट
ज्वार भाटा (1973)
शुरुवात हमेशा मजबूरी से ही होती है, ये मजबूरी आहिस्ता आहिस्ता ज़रुरत और ज़रुरत आदत बन जाती है
It's not the age ... it's the mileage
जॉनी गद्दार (2007)
गोली क जवाब गोली से देंगे और लूट का जवाब लूट से
ये मौत का शहर है, इस शहर की गलियों में अँधेरा ही अँधेरा है
बटवारा (1989)
झूठ की राख से सच्चाई की आग को नहीं बुझाया जा सकता
सच्चाई पर चलने वाला इन्सान, वक़्त आने पर गुंडों से कहीं ज्यादा खतरनाक बन जाता है
दोस्त (1974)
अब ना वो ज़ालिम रहेंगे ना ज़ुल्म रहेगा, ना कानून से खिलवाड़ करने वाले वो गद्दार रहेंगे, अब सिर्फ कानून रहेगा
इस दुनिया में दर्द बहुत है और बाटने वाले हाथ बहुत कम, फिर भी आगाज़ है ये जिसे अंजाम तक निभाना है, खून है जब तक रगों में, हर ज़ुल्म को मिटाना है
हिंदुस्तान पर हुकूमत एक अफसर की नहीं, किसी मिनिस्टर की नहीं, इन जमाल सेन जैसे दरिंदो की नहीं, हिंदुस्तान पर हुकूमत है इन मासूम बच्चो की, हिंदुस्तान पर हुकुमत है हिंदुस्तान की आवाम की, हिंदुस्तान पर हुकूमत है हम हिन्दुस्तानियों की
हुकूमत (1987)
आइसे तडपा तडपाकर मारूंगा, कि मौत भी तेरी लाश को देखकर काँप उठेगी
ज़लज़ला (1988)
सरकारी सड़क है या तेरा घर तो नहीं है, हम क्यूँ ना करे इश्क, तेरा डर तो नहीं है
निगाहें वो की राहगीरों पे जिनके वार होते है, ये अच्छी सूरतों वाले मुसाफिर मार होते है
राह पर उनको लगा लाये तो है बातों में, और खुल जायेंगे दो चार मुलाकातों में
ना जाने लोग लखपति करोड़पति कैसे बन जाते है, अपना तो पति बनना मुश्किल हो रहा है
आए दिन बहार के (1966)
भगवान की अदालत का फैसला इन्सान को पता नहीं चलता, इसलिए वो गुनाह पे गुनाह किये जाता है, और इंसान की अदालत कभी कभी फैसला करने में धोखा खा जाती है, इस लिए मैंने बनायीं है तीसरी अदालत जो तुम जैसे हत्यारो को सजा देगी, सजा-ए-मौत
खतरों के खिलाडी (1988)
ये दुनिया बहुत बड़ी है, अपना शिकार खुद मारना सीखो
मैं रूपया गिनकर कभी नहीं रखता
मैं तुम से भी ज्यादा ऊँची आवाज़ में बोल सकता हूँ
ये गलत नहीं है, ये हकीकत है
लोफर (1973)
बाज़ुओ की ताक़त तो उपरवाले की देन है
नाम लेने से उम्र लम्बी नहीं होती, उम्र लम्बी होती है मेहनत से, मशक्त से
सोने पे सुहागा (1988)
प्यार एक पंछी है जो आसमान की बुलंदियों तक उड़ना चाहता है, मगर इंसान के फ़र्ज़ और मजबूरियाँ उसे धरती से दूर नहीं जाने देती
लालच इन्सान को एक पागल कुत्ता बना देती है, जो अपने मालिक को भी काट लेता है
तुम आस्तीनों के वो सांप निकले जिसका काटा पानी तक नहीं मांगता
चरस (1976)
इंसानियत इन्तेकाम नहीं, इंसाफ चाहती है, अमन चाहती है
ऐसी बहुत सी आंधियां आई और चली गई, लेकिन कोई इस पहाड़ के सीने में छेद नहीं कर सका
आज जी भरके मंदिर के सामने सर टेक ले, इसके बाद ये मगरूर सर ना उठने के काबिल रहेगा ना झुकने के काबिल
ये तूफ़ान तो सो रहा था अमन के बादलों को अपना तकिया बनाकर, इसे जगाया भी तुमने है और उठाया भी तुमने
जीने नहीं दूंगा (1984)
जिसने तुम्हारी मांग का सिन्दूर मिटाया है, तुम्हारी कसम मैं उसे ही इस दुनिया से मिटा दूंगा
गरीबों के हाथ की बनी हुई चीज़ अमीरों को अच्छी नहीं लगती
किसी मजलूम औरत की इज्ज़त बचाने के लिए मैं अपनी जान दे भी सकता हूँ, और किसी की जान ले भी सकता हूँ
औरत के हाथ में छुरी और बन्दूक बिलकुल अच्छी नहीं लगती
मीठा खून कडवा मिजाज
आज़ाद (1978)
तू बम्बई की पब्लिक को नहीं जानती, खुश है तो खुश, बिगड़ी तो थोबड़ा बिगाड़ के रख देती है
सीता और गीता (1972)
विधाता ने जब जीवन और मृत्यु के दौराहे पर दोबारा लाकर खड़ा कर दिया है, तो इस खेल को जीवन की बाज़ी लगाकर ही खत्म करूंगा
इज्ज़त हमारे जीवन का उपदेश है, दौलत तो सिर्फ जीने का साधन है
सुई के इस छोटे से छेद में से ऊँट जैसा भारी भरकम जानवर गुज़र सकता है, मगर इश्वर के राज में दौलत का पुजारी कभी नहीं जा सकता, क्यूँ की वहां दौलत का कोई मोल नहीं
इज्ज़त के बगैर इन्सान का जीवन, मृत्यु समान है
जीवन मृत्यु (1970)
कुत्ते कमीने तू मुझसे बचकर नहीं जा सकता, मैं तुझे ढूंढ निकालूँगा, मैं तुझे पाताल से भी ढूंढ निकालूँगा, और मैं तुझे ढूंढकर तेरा कलेजा चीर दूंगा, में तेरा पेट फाड़ डालूँगा, हरामजादे तू मुझसे बचकर नहीं जा सकता
जब तक मैं उसका खून नहीं कर लूँगा, ना मुझे नींद आएगी, ना मुझे मौत आएगी
वतन के रखवाले (1987)
औरत और शराब दोनों में कोई फर्क नहीं, दोनों का काम है आग लगाना
चले थे ज़माने से मुह फेरकर, यकायक तेरा सामना हो गया
एक महल हो सपनो का (1975)
ये बड़ी बड़ी ऑंखें, ये रसीले होंठ, ये गोरा गोरा रंग, जिस्म है की समंदर की लहरे, यहाँ उठती हुई, यहाँ गिरती हुई, जी चाहता है बस देखता ही रहूँ
हाथ भी दिया, जुबां भी दी, दिल भी दिया, अब हाथ छोड़ना नहीं, जुबां से फिरना नहीं, दिल तोडना नहीं
तुम हसीन मैं जवान (1970)
मैं तेरा खून करूंगा और तेरा घोस्त अपनी गली के कुत्तो को खिलाऊँगा
जब गरीब का खून खौलता है, तो उसके गुस्से के सैलाब मैं दौलत के बड़े से बड़े पहाड़ टूट जाते है
मजलूमों का साथी, बेबसों का भाई, और अबलाओं पर ज़ुल्म करने वालों के लिए कसाई हूँ मैं
हमसे ना टकराना (1990)
जिसने मेरे भाई का खून बहाया है, मैं उसे उसके खून में नहलाके रख दूंगा
राज तिलक (1984)
ये वर्दी महज़ सूत का धागा नहीं, हिंदुस्तान की इज्ज़त है
मैं कानून का वो अजगर हूँ जो डसता नहीं, निगल जाता है
सांप के तो सिर्फ दांत में ज़हर होता है, मेरी हर सांस में ज़हर है
ये ज़मीने जिसपर अपना राज कायम करना चाहते हो, एक दिन तुम्हारे लिए कब्रिस्तान बन जायेगा
कानून के दुश्मनों को मैं चिता की राख बना देता हूँ
गुंडागर्दी (1997)
ना सोडे के साथ, ना पानी के साथ, मैं तो पीयूँगा अपनी रानी के साथ
दुश्मन देवता (1991)
मैं अपने प्लान खुद बनाता हूँ
इन कन्धों पर वही सर है जिसने कटना सीखा है, झुकना नहीं
मैं तेरे नापाक खून से हाथ नहीं रंगूंगा
जो अपनी जान पर खेलते है, वो अपनी मंजिल पर खुद पहुच जाते है
यादों की बारात (1973)
चाहे मुझे ज़िन्दगी भर तुम्हे तलाश करना पड़े, मैं तुम्हे ढूंढूंगा ज़रूर, और फिर जो तुम्हारा हाल करूंगा, उसे देखकर तुम्हारे फरिस्ते भी काँप उठेंगे
ब्लैकमेल (1973)
आदमी खतरों पे फ़तेह पा सकता है, लेकिन मौत को नहीं जीत सकता
ज़िन्दगी का हर वो ज़ख्म जिसका कोई इलाज ना हो, उसपे दौलत ही मरहम का काम कर सकती है
शालीमार (1978)
जो खुदा के प्यारे होते है, वो वक़्त से पहले खुदा को प्यारे नहीं होते
जिस जुर्म पर मेरा नाम लिखा जायेगा उसपर तुम्हारा नाम पहले से लिखा होगा, और जिस गली में मैं कुत्ते की मौत मारा जाऊँगा, उस गली में एक बहुत बड़ा कुत्ता पहले से मरा पड़ा होगा
राम बलराम (1980)
उस राक्षस की दी हुई मौत तुम्हारी दी हुई ज़िन्दगी से कही बेहतर होगी, वो एक बार की मौत होगी, लेकिन तुम्हारी दी हुई ज़िन्दगी हर पल मैं एक मौत मरता रहा हूँ
सम्राट (1982)
तुम्हारी बिल्डिंग को पुलिस ने चारों तरफ से घेर लिया है, और अगर मैं दो मिनट के अन्दर अन्दर यहाँ से बाहर नहीं गया, तो तुम्हारी और इस बिल्डिंग की धज्जियाँ उड़ा डी जाएँगी
कीमत (1973)
अनाज तो बहुत पैदा होता है सेठ, मगर उससे गरीबों के पेट नहीं तुम लोगों के गोदाम भरे जाते है, तभी तो तुम लोगों की तिजोरी में रखा हुआ पैसा नहीं गिना जा सकता, मगर गरीबों के जिस्म की पसलियाँ ज़रूर गिनी जा सकती है
चाचा भतीजा (1977)
कुत्ते की पूँछ और मर्द की मूछ में कोई फर्क नहीं होता
सेकंड हैण्ड हसबैंड (2015)
झूठ के चेहरे पर नकाब नहीं रुकता
अलीबाबा और 40 चोर (1980)

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